ठीक पांच साल बाद जनता का ख्याल आया है। लेकिन पांच साल तक क्या करते रहे, क्षेत्र का विकास या अपना? पंद्रहवीं विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों के द्वारा नामांकन के दौरान शपथ-पत्र के माध्यम से जो उनकी संपत्ति का ब्योरा भरा गया है वह यही कहता है कि पांच सालों तक राजनेता सियासत कम, रियासत बढ़ाने के खेल में ज्यादा व्यस्त थे। यह बात शायद सौ प्रतिशत नेताओं पर लागू न हो लेकिन 90 प्रतिशत में कोई शक भी नहीं। एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जिन पर टिकट में वारा न्यारा करने का आरोप है, उनके पास तो करोड़ों की संपत्ति है। जैसे पटना, कोलकाता, गुड़गांव में मकान तो, कहीं फार्म हाऊस। जदयू के पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा तो पांच साल में 80 लाख के मुनाफे में चले गए वहीं मधुबन के कांग्रेस प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक बबलू देव 45 लाख का रकम इजाफा कर पाने में सफल रहे। इसी तरह निवर्तमान मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, रेणु कुमारी कुशवाहा, पूर्व शिक्षा मंत्री रामलखन राम रमण, निवर्तमान विधायक ललित यादव, रामप्रीत पासवान सहित कई ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने पिछले पंाच सालों में लाखों से लेकर करोड़ों तक कमाए। गौरतलब है कि इन सारी संपत्तियों को इनलोगों ने सार्वजनिक किया है बाकी अंदर की बात तो वे ही जानें? अब अगले पांच साल का हिसाब-किताब करने में माननीय जुट गए हैं । चुनाव प्रचार शुरू हो गया है। पता नहीं एक बार फिर तथाकथित मालिकों के साथ सेवकों के द्वारा क्रूर मजाक किया जा रहा है या कुछ और, यह तो वक्त बताएगा!
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